लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास

एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2677
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

हिन्दी काव्य का इतिहास

प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।

उत्तर -

रामभक्ति शाखा एवं कृष्णभक्ति शाखा

राम भक्ति शाखा एवं कृष्णभक्ति शाखा में पर्याप्त अन्तर एवं समानताएँ हैं। सगुण काव्य के राम एवं कृष्ण दोनों ही विष्णु के अवतार हैं। दोनों के प्रति सगुण भक्ति का विधान है और दोनों के प्रति आत्मसमर्पण एवं अनन्य निष्ठा प्रदर्शित की गयी है परन्तु फिर भी दोनों में सिद्धान्तगत एवं शैलीगत अन्तर है और दोनों में दृष्टिकोण सम्बन्धी मतभेद हैं। रामकाव्य तथा कृष्णकाव्य की तुलना यदि सिद्धान्त की दृष्टि से करें तो निम्नांकित तथ्य सामने आते हैं -

(1) रामकाव्य में भक्ति दास्य भाव की है, जिसे बैधी भक्ति के अन्तर्गत रखा जाता है। इसमें मर्यादा पर अधिक बल दिया जाता है। रामकाव्य में वर्णाश्रम धर्म, कर्मकाण्ड और वेद- मर्यादा आदि के प्रति पूर्ण विश्वास     व्यक्त किया जाता है। कृष्णकाव्य में प्रतिपादित भक्ति माधुर्य भाव की है, जिसे रागानुगा भक्ति की सीमा में स्थान प्राप्त है। कृष्णभक्ति कवियों के यहाँ मर्यादा के लिए कोई स्थान नहीं है।
(2) रामकाव्य मे राम आराध्य हैं अतः बड़े हैं और उनके भक्त छोटे हैं। "राम सौ बड़ो कौन मोसों कौन छोटो" इसीं लघुत्व के कारण कहा गया है। इसके विपरीत कृष्ण काव्य में कृष्ण भक्तों के सखा हैं और जहाँ             आराध्य एवं आराधक में सखा भाव रहता है, वहाँ बड़े छोटे का कोई भेद नहीं रहता। सूर के सख्य भाव से भक्ति से प्रेरित होकर ही कहा है -

"खेलत में को काकौ गुसैयाँ'

(3) शुद्ध भक्ति की दृष्टि से वैधी भक्ति को ईश्वर सान्निध्य का यदि प्रथम सोपान माना जा सकता है, तो रागानुगा भक्ति को उसका अन्तिम सोपान।
(4) रामकाव्य में लोकसंग्रह और लोकरक्षक की भावना का प्राधान्य है, तो कृष्णकाव्य में लोकरंजन की ओर ही कवियों का सारा ध्यान केन्द्रित रहा है। लोकसेव्य भाव की भक्ति होने के कारण रामकाव्य में मर्यादाओं     का एकमात्र भी अतिक्रमण नहीं मिलता है। जबकि सखा भाव की भक्ति में मर्यादाएँ अति निकटता व सामीप्य के कारण स्वतः ही टूट जाती हैं।
(5) रामकाव्य में किसी प्रकार की कोई आध्यात्मिक प्रतीकात्मकता नहीं मिलती है, जबकि कृष्णकाव्य में सभी पात्रों का प्रतीकात्मक व्यक्तित्व निरूपित हुआ है॥
(6) रामकाव्य के प्रमुख प्रवर्तक रामानुजाचार्य हैं और बाद में इसी मार्ग पर चलकर रामानन्द ने रामोपासना को प्रचारित किया है तथा कृष्णकाव्य प्रमुख प्रवर्तक बल्लभाचार्य हैं।

दृष्टिकोण के आधार पर तुलना - रामभक्तों व कृष्णभक्तों ने अपने-अपने दार्शनिक दृष्टिकोणों के आधार पर अपने उपास्यों के प्रति भक्ति की नाना विधाओं को ग्रहण किया है।

(1) कृष्ण काव्य में मथुरा रति का महत्व सर्वोपरि है, परन्तु राम काव्य समन्वय की विचाट चेष्टा को लेकर चला है। भाव, भाषा, शैली, छन्द तथा इष्टदेव सभी क्षेत्रों में समन्वय मिलता है। तुलसी ने राम को महत्व दिया है और सूर ने कृष्ण को।

(2) महाकवि तुलसीदास ने भगवान राम की महिमा का गुणगान अधिक किया है, जबकि सूरदास जी ने कृष्ण की आराधना की है। सूर को छोड़ दिया जाये तो स्पष्ट हो जाता है कि सभी कृष्णभक्ति कवि पुष्टिमार्गी होने के कारण ही साम्प्रदायिकता के लिए प्रसिद्ध हैं, जबकि रामकाव्य इससे परे हैं।

जनसम्पर्क व युगजीवन के आधार पर तुलना - इस प्रकार है-

(1) इस बिन्दु पर कृष्ण काव्य अधिक समृद्ध है। वह स्वान्तः सुखाय होकर भी सर्वसुखाय है।
(2) राम काव्य में तत्कालीन सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक परिस्थितियों के घात-प्रतिघात का सजीव चित्रण मिलता है, जबकि कृष्ण काव्य में न तो जनजीवन का कोई चित्रण मिलता है और न ही युगीन             परिस्थितियों का आंकलन निरूपन ही मिलता है।
(3) राम काव्य के पात्र अतिमानवीय और अलौकिक तो हैं किन्तु फिर भी वे ऐसे होकर भी हमारे बीच के लगते हैं। हमारे दैनिक जीवन में काम आने वाले प्रतित होते हैं, जबकि कृष्ण काव्य में ऐसा नहीं है। कृष्ण के         भक्तों की दुनिया तीन लोक से न्यारी है। वे कृष्ण की रागानुभक्ति में इतने विरक्त रहे हैं कि उन्हें दीन-दुनिया की खबर ही नहीं रही है।
(4) कृष्ण काव्य के कृष्ण 'नीवी बन्धन' तक खोलने का उपक्रम करते हैं, श्रीफलों का स्पर्श करते हैं, किन्तु राम काव्य के राम बड़े शिष्ट और मर्यादावादी होने के कारण कुप्रभावी कवियों की ओर ध्यान तक नहीं देते हैं।     असल में रामभक्त कवियों को समाज के हित अनहित का बोध है और कृष्ण भक्ति कवि अपने में मस्त हैं।

भाषा की दृष्टि से तुलना - इस प्रकार है -

(1) राम काव्य की भाषा अवधी है, जो कि राम की जन्मभूमि से सम्बन्धित है, जबकि कृष्ण काव्य की भाषा ब्रजभाषा है। कृष्ण काव्य भाषा के स्तर पर केवल ब्रज की माधुरी तक ही सीमित रहा है। जबकि राम काव्य     की भाषा अवधी से लेकर ब्रज तक फैली है। तुलसी की विनयपत्रिका इसका सशक्त प्रमाण है।
(2) भाषागत परिष्कृति और तत्समी वृत्ति जो राम काव्य में है, वह कृष्ण काव्य में कहीं नहीं मिलती है।

रचना शैली की दृष्टि से तुलना - इस प्रकार है-

(1) राम काव्य प्रबन्ध शैली प्रधान है और कृष्ण काव्य की शैली मुक्तक प्रधान है।
(2)शैली वैविध्य की दृष्टि से राम काव्य समृद्ध है तो कृष्ण काव्य संकीर्ण और निर्धन है।

निष्कर्ष - वस्तुतः सम्पूर्ण कृष्णभक्ति काव्य आनन्द एवं उल्लास का काव्य है और भावना की दृष्टि से वह काव्य अनुपम है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के शब्दों में कृष्ण काव्य मनुष्य की रसिकता को उबुद्ध करता है। उसकी अन्तर्निहित लालसा को ऊर्ध्वमुखी करता है और उसे निरन्तर रसासक्ति बनाता है। सामान्य प्रवृत्तियों का तुलनात्मक विवेचन करने पर हम संक्षेप में यही कह सकते हैं कि सगुण काव्यधारा के दोनों काव्य रामभक्ति भाव एवं कृष्णभक्ति भाव में पर्याप्त अन्तर रखते है। यों तो दोनों का महत्व है किन्तु व्यापकता की दृष्टि से राम काव्य श्रेष्ठ है भले ही उसका कृष्ण काव्य की तुलना में कम विकास एवं प्रचार हुआ है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
  3. प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
  4. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
  5. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  11. प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- सर जार्ज ग्रियर्सन के साहित्य के इतिहास लेखन पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  14. प्रश्न- नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा 16 खंडों में प्रकाशित हिन्दी साहित्य के वृहत इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रारम्भिक तिथि की समस्या पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- साहित्यकारों के चयन एवं उनके जीवन वृत्त की समस्या का इतिहास लेखन पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्येतिहास काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन आप किस आधार पर करेंगे? आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास का जो विभाजन किया है क्या आप उससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
  19. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल सीमा सम्बन्धी मतभेदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
  22. प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
  23. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (1) परमाल रासो (3) बीसलदेव रासो (2) खुमान रासो (4) पृथ्वीराज रासो
  25. प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
  27. प्रश्न- "विद्यापति हिन्दी परम्परा के कवि है, किसी अन्य भाषा के नहीं।' इस कथन की पुष्टि करते हुए उनकी काव्य भाषा का विश्लेषण कीजिए।
  28. प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  29. प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
  33. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  34. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  35. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  36. प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
  37. प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  39. प्रश्न- भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग क्यों कहते हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
  40. प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- मध्यकालीन हिन्दी सन्त काव्य परम्परा का उल्लेख करते हुए प्रमुख सन्तों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  42. प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।
  43. प्रश्न- कबीर के रहस्यवाद की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए।
  44. प्रश्न- महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- भक्तिकाल में उच्चकोटि के काव्य रचना पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- 'भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  48. प्रश्न- जायसी की रचनाओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी काव्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
  51. प्रश्न- तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  52. प्रश्न- गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं रचनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- कबीर सच्चे माने में समाज सुधारक थे। स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  57. प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  61. प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
  64. प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
  65. प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
  67. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
  70. प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्य के स्रोत को संक्षेप में बताइये।
  73. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  74. प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
  75. प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- रीतिकालीन कवि बोधा के कवित्व पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  83. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
  85. प्रश्न- भारतेन्दु युगीन काव्य की भावगत एवं कलागत सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  87. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
  89. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
  90. प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
  91. प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  92. प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
  93. प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  95. प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
  97. प्रश्न- छायावाद के प्रमुख कवि और उनके काव्यों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  101. प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
  102. प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
  104. प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
  105. प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
  106. प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  107. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  110. प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
  112. प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
  114. प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
  116. प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
  117. प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
  119. प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book